सामाजिक दृष्टि
- योगाचार्य की दृष्टि अक्सर अपने छात्रों में सम्पूर्ण कल्याण और आत्म-साक्षात्कार को उत्तेजित करने के चारों ओर घूमती है। यहाँ कुछ पहलुओं को शामिल किया गया है जो एक योगाचार्य की दृष्टि का हिस्सा बन सकते हैं:
शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना: योगाचार्य व्यक्तियों को योगासन (आसन), प्राणायाम और समरूपता सिद्धांतों के माध्यम से शारीरिक फिटनेस और ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करने का लक्ष्य रखते हैं। वे संतुलित और स्वस्थ शारीर को महत्वपूर्ण धारण के रूप में बताते हैं, जो समग्र कल्याण का आधार होता है।
मानसिक स्पष्टता को पोषण देना: योग केवल शारीरिक व्यायाम के बारे में नहीं है; यह मन को शांत करने और मानसिक स्पष्टता प्राप्त करने के बारे में भी है। योगाचार्य की दृष्टि में ध्यान और साधना विधियों का शिक्षण और चित्त को स्थिरता प्राप्त करने के लिए उनके छात्रों को स्थानीय में विश्वास, ध्यान, समर्पण और भावनाओं के अध्ययन को अनुशासित करना शामिल हो सकता है।
आध्यात्मिक विकास को पोषित करना: योग आध्यात्मिकता में गहरी जड़ें रखता है, और योगाचार्य अपने छात्रों को स्वयं के खोज और आध्यात्मिक जागरूकता की यात्रा पर मार्गदर्शन करने की दृष्टि रख सकता है। इसमें पतंजलि के योग सूत्रों की पारंपरिक योग दर्शन, स्वीकृति, स्वाध्याय और स्वाध्याय के प्राथमिक अध्ययन का समावेश किया जा सकता है।
समुदाय और संबंधों को बढ़ावा देना: एक योगाचार्य समर्थनशील और समावेशी समुदाय बनाने का लक्ष्य रख सकता है, जहां छात्र अपने योग की यात्रा पर स्वागत किये जाते हैं। इसमें समूह कक्षाएं, कार्यशालाएं, आश्रम, और समुदाय कार्यक्रमों का आयोजन शामिल हो सकता है।
नैतिकता और मूल्यों को प्रोत्साहित करना: योग केवल शारीरिक या मानसिक अभ्यास नहीं है; यह नैतिक सिद्धांतों और मूल्यों को भी समाविष्ट करता है,